Monday 19 November 2018

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय “हुनरहाट” का आयोजन कर रहा है

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आर्इआर्इटीएफ) में 14 नवंबर से 27 नवंबर तक ‘हुनरहाट’ का आयोजन करेगा। इसका औपचारिक उद्घाटन श्री नकवी 15 नवम्बर को करेंगे। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज नई दिल्ली में बताया कि यह आयोजन दस्तकारों/शिल्पकारों का एम्पावरमेंट-एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज" साबित हो रहा है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा दस्तकारों, शिल्पकारों को मौका-मार्किट मुहैया करने के मिशन के तहत देश के विभिन्न भागों में आयोजित "हुनरहाट" की श्रृंखला में यह "हुनरहाट" अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला, प्रगति मैदान में आयोजित किया जा रहा है।
श्री नकवी ने कहा कि हुनरहाट” में बड़ी संख्या में महिला दस्तकारों सहित देशभर के दस्तकार, शिल्पकार, कारीगर भाग ले रहे हैं। देश के कोने-कोने से हस्तशिल्प और हैंडलूम उत्पाद इस हुनरहाट” में प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। अज़रख, बागप्रिंट, बंधेज, बाड़मेर अज़रख और एप्लिक, बिड्रिवेयर, केन और बांस, कालीन, चंदेरी, चनियाचोली, चिकनकारी, कॉपरबेल उत्पाद, ताँबे के बर्तन, चीनी मिट्टी के बर्तन, ड्राईफ्लॉवर, गोटापत्ती, हैंडलूम और होम फर्निशिंग इत्यादि यहाँ उपलब्ध रहेंगे।
इसके अलावा जूट क्राफ्ट, लाख-पत्थर से बनी चूड़ियाँ, लैक्रवेयर, लिनन उत्पाद, मेटल वेयर, मडवर्क, मल्बेरी सिल्क, पैठनी सिल्क, फूलकरी, पंजाबी जुत्ती, ज़री बैग आदि उपलब्ध रहेंगे। पहली बार छत्तीसगढ़ के उत्पाद, जम्मू-कश्मीर के नामदा और चिन्नॉन सिल्क भी उपलब्ध रहेंगे।
श्री नकवी ने कहा कि हुनर की विरासत को मोदी सरकार के "हुनरहाट" जैसे रोजगारपरक कार्यक्रम से जबरदस्त हौसला मिला है। देशभर के प्रमुख स्थलों पर आयोजित किये जा रहे "हुनरहाट" से जहाँ एकतरफ हुनरमंद शिल्पकारों, दस्तकारों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मौका-मार्किट मुहैया हुए हैं, वहीँ बड़ी संख्या में उन्हें रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं।
श्री नकवी ने कहा कि "हुनरहाट" एक ही जगह पर देशभर के दस्तकारों, शिल्पकारों के नायाब हस्तनिर्मित स्वदेशी सामान के प्रदर्शन एवं बिक्री और विभिन्न राज्यों के लजीज़ पकवानों के स्वाद का एक विश्वसनीय एवं लोकप्रिय ब्रांड बन गया है।
श्री नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया"", "स्टैंड अप इंडिया", "स्टार्ट अप इंडिया" के संकल्प को साकार करने का "प्रामाणिक एवं विश्वसनीय ब्रांड" बन गया है "हुनरहाट"। पिछले 1 साल में "हुनरहाट" 1 लाख 50 हजार से ज्यादा कारीगरों, दस्तकारों, शिल्पकारों एवं उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और रोजगार के अवसर मुहैया कराने में सफल रहे हैं। हमारा लक्ष्य "हुनरहाट" के माध्यम से 2019 तक लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार-रोजगार के मौके उपलब्ध कराना है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा इससे पहले "हुनरहाट" इलाहाबाद (सितम्बर 2018), दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (2016, 2017), बाबा खड़क सिंह मार्ग (2017, 2018); पुडुचेरी के थीडल बीच (2017, 2018) और मुंबई के इस्लाम जिमखाना, मरीन लाइन्स (2017) में आयोजित किये गए हैं। आने वाले दिनों में "हुनरहाट" का आयोजन मुंबई (दिसंबर 2018), बाबा खड़क सिंह मार्ग, दिल्ली (जनवरी 2019) और गोवा (फरवरी 2019) में किया जायेगा।

Wednesday 14 November 2018

देश के 91 प्रमुख जलाशयों का जलस्तर 67 प्रतिशत के समान स्तर पर रहा

08 नवंबर, 2018 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 107.883 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल संग्रह हुआ। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 67 प्रतिशत है। 01 नवंबर, 2018 को समाप्‍त सप्ताह में जल संग्रह समान स्तर पर था। 08 नवंबर, 2018 को समाप्त सप्ताह में यह संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 102 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 98  प्रतिशत है।
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली लाभ देते हैं।
क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति : -
उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 15.35 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 85 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 71 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 74 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।
पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 13.22 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 70 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 79 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 74 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 16.52 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 53 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 69 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 66 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 31.47 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 74 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 57 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 68 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।
दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 31.33 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 61 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 64 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 65 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्‍थान, उत्तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कम है उनमें झारखंड, ओडिशा पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात और महाराष्‍ट्र, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं।