Tuesday 28 March 2017

राम मंदिर विवाद: आखिर 6 दिसंबर 1992 को हुआ क्या था?

नई दिल्ली: राम मंदिर से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यह एक संवेदनशील और भावनात्मक मामला है. कोर्ट ने कहा कि ‘संवेदनशील मसलों का आपसी सहमति से हल निकालना बेहतर है.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विवाद का हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नये सिरे से प्रयास करने चाहिए. प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है और उन्होंने सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश भी की.

बेंच में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, ‘‘ये धर्म और भावनाओं से जुड़े मुद्दे हैं. ये ऐसे मुद्दे है जहां विवाद को खत्म करने के लिए सभी पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और सर्वसम्मति से कोई निर्णय लेना चाहिए. आप सभी साथ बैठ सकते हैं और सौहाद्र्रपूर्ण बैठक कर सकते हैं.’’

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले पर जल्द सुनवायी की मांग की.

राम मंदिर विवाद: आखिर 6 दिसंबर 1992 को हुआ क्या था?
आज से करीब 25 साल पहले अयोध्या में पहुंची हिंदू कार सेवकों की लाखों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था तब सूबे में कल्याण सिंह की सरकार थी जो अभी राजस्थान के राज्यपाल हैं.

उस दिन देश भर से हजारों कार सेवक अयोध्या पहुंच रहे थे. विश्व विंदू परिषद, बजरंग दल सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेता अयोध्या में मौजूद थे. सुबह करीब साढ़े दस बजे का वक्त था जब हजारों कार सेवक हजारों पुलिस वालों की मौजूदी में विवादित ढांचे तक पहुंच गये. हर किसी की जुबां पर उस वक्त जय श्री राम का ही नारा था.

विवादित ढांचे तक पहुंचने के साथ ही भीड़ उन्मादी हो चुकी थी. इस वक्त तक ढांचे की सुरक्षा को खतरा पैदा हो चुका था. ढांचे के आसपास करीब एक लाख कार सेवक पहुंच चुके थे. अयोध्या में स्थिति भयानक हो चुकी थी.

पुलिस के आला अधिकारी मामले की गंभीरता को समझ रहे थे लेकिन गुंबद के आसपास मौजूद कार सेवकों को किसी को रोकने की हिम्मत किसी में नहीं थी. मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का साफ आदेश था कि कार सेवकों पर गोली नहीं चलेगी.Bulk Whatsapp Service provider

Source:-Abpnews

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