भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव एक उत्सव की तरह हैं और चुनावी नारे इस उत्सव की सबसे खास पहचान. भारत जैसे देश में जहां वोटरों का एक बड़ा तबका निरक्षर है, नारे ही हैं जो पार्टियों और नेताओं के एजेंडे को जनता तक पहुंचाते हैं. भारतीय जनता पार्टी आज अपना स्थापना दिवस मना रही है, इस अवसर पर पढ़िए वो नारे जो पहले जनसंघ तो फिर भारतीय जनता पार्टी की पहचान बने और जिन्होंने उसकी विकास यात्रा में अपना एक अहम योगदान दिया.जनसंघ ने अपनी स्थापना के बाद से ही कश्मीर के अलग झंडे और अलग संविधान की मुखालफत की. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में उसका एक ही नारा था 'एक झंडा एक निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान'.
श्यामाप्रसाद मुखर्जी के बलिदान के बाद भी कश्मीर पर जनसंघ का रुख नहीं बदला. उसने न सिर्फ कश्मीर पर अधिकार की बात की बल्कि पाक अधिकृत कश्मीर पर भी दावा किया. पार्टी का नारा था 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है/और जो कश्मीर हमारा है वो सारा का सारा है.'
1967 के चुनाव में जब जनसंघ मैदान में उतरी तो उसने वोटरों से कांग्रेस को नकारने के साथ ही तंबाकू-बीड़ी छोड़ने की भी अपील की. उसका उस चुनाव में दिया गया नारा दिलचस्प था- जनसंघ को वोट दो, बीड़ी पीना छोड़ दो/बीड़ी में तंबाकू है, कांग्रेस वाला डाकू है.
जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक था, पार्टी ने युवाओं को रोजगार और किसानों के खेत में पानी पहुंचाने का अपना वादा इस नारे के जरिए घर-घर पहुंचाया. 'हर हाथ को काम, हर खेत को पानी/हर घर में दीपक, ये जनसंघ की निशानी.'
साठ के दशक में जनसंघ जब कांग्रेस पर हमलावर हुआ तो उसने अपने चुनाव चिन्ह दीपक से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी पर निशाना साधा. पार्टी का नारा था- 'जली झोपड़ी भागे बैल/यह देखो दीपक का खेल'.
Source:-Aajtak
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श्यामाप्रसाद मुखर्जी के बलिदान के बाद भी कश्मीर पर जनसंघ का रुख नहीं बदला. उसने न सिर्फ कश्मीर पर अधिकार की बात की बल्कि पाक अधिकृत कश्मीर पर भी दावा किया. पार्टी का नारा था 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है/और जो कश्मीर हमारा है वो सारा का सारा है.'
1967 के चुनाव में जब जनसंघ मैदान में उतरी तो उसने वोटरों से कांग्रेस को नकारने के साथ ही तंबाकू-बीड़ी छोड़ने की भी अपील की. उसका उस चुनाव में दिया गया नारा दिलचस्प था- जनसंघ को वोट दो, बीड़ी पीना छोड़ दो/बीड़ी में तंबाकू है, कांग्रेस वाला डाकू है.
जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक था, पार्टी ने युवाओं को रोजगार और किसानों के खेत में पानी पहुंचाने का अपना वादा इस नारे के जरिए घर-घर पहुंचाया. 'हर हाथ को काम, हर खेत को पानी/हर घर में दीपक, ये जनसंघ की निशानी.'
साठ के दशक में जनसंघ जब कांग्रेस पर हमलावर हुआ तो उसने अपने चुनाव चिन्ह दीपक से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी पर निशाना साधा. पार्टी का नारा था- 'जली झोपड़ी भागे बैल/यह देखो दीपक का खेल'.
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